चीन में कोरोनावायरस का संक्रमण और बढ़ा तो ना सिर्फ चीन की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी, बल्कि भारत की इकोनॉमी और आम लोगों पर भी असर पड़ेगा। आयात बाधित होने से कार, स्मार्टफोन, इलेक्ट्रानिक्स और कुछ दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं। यह आशंका भी है कि कोरोनावायरस की वजह से चीन के कुछ प्रांतों में छुटि्टयों लंबी खिंच सकती हैं। ऐसा होता है तो चीन से होने वाला आयात बाधित हो सकता है। इससे उद्योगों के साथ उपभोक्ताओं पर भी दबाव बढ़ेगा।
ऑटो मैन्युफैक्चरिंग में 8.3% गिरावट की आशंका
चीन, भारत के सबसे बड़े ऑटोमोटिव कंपोनेंट सप्लायर में से एक है। ऐसे में चीन में तैयार कल-पुर्जों की कमी होने से भारतीय ऑटो इंडस्ट्री को प्रोडक्शन घटाना पड़ेगा। भारत के ऑटो कंपोनेंट की जरूरत का 10 से 30 प्रतिशत आयात चीन से होता है। इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग की बात करें तो यह दो से तीन गुना अधिक हो जाता है। आयात के लिए दूसरे बाजारों में जाने से कार बनाने की लागत बढ़ सकती है। इसका असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। रेटिंग एजेंसी फिच ने 2020 में भारत में ऑटो मैन्युफैक्चरिंग में 8.3% गिरावट की आशंका जताई है।
भारत 80% मेडिकल उपकरण आयात करता है
भारत बल्क ड्रग और उनके इंग्रीडिएंट्स का 70% चीन से आयात करता है। दवाओं का बनाने के लिए एपीआई (एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इंग्रीडिएंट्स) और कुछ जरूरी दवाओं के लिए भारत, चीनी बाजार पर काफी हद तक निर्भर है। कोरोनावायरस का संकट अगर और बढ़ा तो हेल्थकेयर सेक्टर भी प्रभावित हो सकता है। वायरस की वजह से पिछले कुछ समय से चीन की ज्यादातर कंपनियों में काम रोक दिया गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत पेनसिलीन-जी जैसी कई दवाओं के लिए पूरी तरह से चीन पर निर्भर है। भारत मेडिकल उपकरणों का 80% आयात करता है और इस आयात में चीन की अहम हिस्सेदारी है।